फिर कहां सुन पाऊंगी मैं आवाज अपने मन की और न ही कुछ कर पाऊंगी फिर कहां सुन पाऊंगी मैं आवाज अपने मन की और न ही कुछ कर पाऊंगी
पतंग पतंग
कटी पतंग कटी पतंग
नये पत्तों का बहार भी था नये पत्तों का बहार भी था
पति से प्यार है अपार पाया, जीवन भर का मित्र बनाया पति से प्यार है अपार पाया, जीवन भर का मित्र बनाया
फिर याद आती है मुझे वो भूली बिसरी कहानियाँ तू क्या जाने जिंदगी , कैसे रही है गुज़र फिर याद आती है मुझे वो भूली बिसरी कहानियाँ तू क्या जाने जिंदगी , कैसे रही है गुज...